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सोच लीजेगा ज़रा नाज़-ओ-अदा से पहले / सिया सचदेव

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सोच लीजेगा ज़रा नाज़-ओ-अदा से पहले
मर न जाए कोई ख़ुद अपनी क़ज़ा से पहले

हम ग़लत राह चले कब, के रहा ज़िंदा ज़मीर
पावँ ज़ंजीर किये हमने ख़ता से पहले

 देखना चाहो तो नजदीक जाकर देखो
बारिशें होती हैं किस तरह घटा से पहले

किस तरह तुमको दिलाऊँ मैं यकीन ऐ जाना
चैन से रहते थे हम दौर-ए-वफ़ा से पहले

वो फ़क़त रंग ही भर्ती रही अफसानों में
सब पहुँच भी गए मंजिल पे सिया से पहले