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वो जो इस बार हमनवां हो जाएँ / सिया सचदेव

वो जो इस बार हमनवां हो जाएँ
हम भी ख़ुशियों से आशना हो जाएँ

मेरी आँखों के बहते सागर में
डूबने वाले लापता हो जाएँ

तुझसे बिछड़े तो इक दिए की तरह
फिर धुवाँ बन के हम फ़ना हो जाएँ

ठोकरों में है ज़िन्दगी अपनी
हम तेरे घर का रास्ता हो जाएँ

दर्द को दिल में इस तरह रक्खें
किसी गूंगे की हम सदा हो जाएँ

गाँव में कुछ वजूद भी है "सिया"
शहर में जाके लापता हो जाएँ