Last modified on 8 अक्टूबर 2016, at 02:19

ख़ल्कियलु ख़ुदा / हरि दिलगीर

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:19, 8 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि दिलगीर |अनुवादक= |संग्रह=पल पल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खु़दा ख़ल्क़त खे ख़ल्क़ियो आ,
मगर ख़ल्क़त बि ख़ल्क़ियो आ,
ज़माने जे खु़दाउनि खे;
उहे ख़ल्क़ियल ख़ुदा मिड़ई,
खु़दा थी ख़ल्क जा वेठा;
ॾिसी ख़ल्क़ियल खु़दाउनि खे,
खु़दा ख़ालिकु छुपी वियो आ।