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पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
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पल पल जो परलाउ
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रचनाकार | हरि दिलगीर |
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प्रकाशक | सिन्धी अकादमी, नई दिल्ली |
वर्ष | 2000 (पहला संस्करण 1977 में) |
भाषा | सिन्धी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 90 |
ISBN | 81-87096-32-2 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
मुहाॻु
वायूं
- आज रुठल तूं आउ / हरि दिलगीर
- जॾहिं बि कंहिं ज़ोरावर जो थिए / हरि दिलगीर
- ॻाल्हि करियां कंहिं सां सखी / हरि दिलगीर
- देर करीं छाकाणि? / हरि दिलगीर
- से किअं मूं खां ॾूरि / हरि दिलगीर
- ॾेहु बणियो परॾेहु / हरि दिलगीर
- धरितीअ मथां धड़ाम / हरि दिलगीर
- तान बंसरीअ जी ॿुधन्दे ई / हरि दिलगीर
नज़मूं
- महफ़िल / हरि दिलगीर
- चिॿिरो / हरि दिलगीर
- मुंहिंजो दुश्मन गुज़ारे वियो / हरि दिलगीर
- ख़ल्कियलु ख़ुदा / हरि दिलगीर
- गुलनि जी टोकिरी / हरि दिलगीर
- पोढ़ो? / हरि दिलगीर
- गोल अंदर गोलु / हरि दिलगीर
- उञायल बुखायल रूहु / हरि दिलगीर
- घटिताई / हरि दिलगीर
- हरिणी / हरि दिलगीर
- तिरकिणो रस्तो / हरि दिलगीर
- पखीअड़ो / हरि दिलगीर
- वेसाही / हरि दिलगीर
- सरोवर / हरि दिलगीर
- औरत जो साथी आईनो / हरि दिलगीर
- प्यासो / हरि दिलगीर
- सोना सिक्का / हरि दिलगीर
- समे जो समुन्दर / हरि दिलगीर
- मुरिक पंहिंजी छॾींदुसि न मां / हरि दिलगीर
- मौत / हरि दिलगीर
- क़ाइदा / हरि दिलगीर
- ॿालक ऐं चंडु / हरि दिलगीर
- सोचु / हरि दिलगीर
- ॿोझो / हरि दिलगीर
- तब्दील / हरि दिलगीर
- गुलनि जो ॿूटो / हरि दिलगीर
- पाछा / हरि दिलगीर
- अमर जोति / हरि दिलगीर
- आज़ादीअ खां पोइ / हरि दिलगीर
- ॾींमि त ॾियांइ / हरि दिलगीर
- मस्त / हरि दिलगीर
- केसिताईं / हरि दिलगीर
- शल इएं थिए / हरि दिलगीर
टेडू़
गीत
क़ितअ
- क़ितअ - 1 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- क़ितअ - 2 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- क़ितअ - 3 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
रुबाइयूं
ललित पद
- ललित पद - 1 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- ललित पद - 2 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- ललित पद - 3 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- ललित पद - 4 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- ललित पद - 5 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
- ललित पद - 6 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर
बैत
ग़ज़ल
- वणे थी अञा ज़िन्दगी कुझु न कुझु / हरि दिलगीर
- चपनि ते अथेई हंसी कुझु न कुझु / हरि दिलगीर
- छा अखियुनि साणु बाति थी वेई / हरि दिलगीर
- जाॻु ऐ फूल-परी, राति वञण वारी आ / हरि दिलगीर
- मस्तु मस्तु वाउ आ / हरि दिलगीर
- न फुलु पटियूं था, न गुलु छिनूं था / हरि दिलगीर
- अदा अजीब हुई, दिलकशी बि ख़ूब हुई / हरि दिलगीर
- सोना सुपना ठहंदा व्या / हरि दिलगीर
- शोर मस्तनि में प्यो, शराब, शराब / हरि दिलगीर
- मुंहिंजी ख़ामोशी बणी बंसरी, अॼु ॻाए थी / हरि दिलगीर
- पंहिंजनि सपुननि जो महलातु / हरि दिलगीर
- नाचु पुतिलियुनि जो हर को ई ॾिसंदो रहियो / हरि दिलगीर