Last modified on 29 अक्टूबर 2016, at 12:30

अज अव्यय अखिलेश प्रभु / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:30, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(राग ईमन-तीन ताल)

अज अव्यय अखिलेश प्रभु नित्य अचिन्त्यस्वरूप।
 परम-स्वतन्त्र हु‌ए प्रकट चिन्मय रूप अनूप॥
 व्रजमें लीला ललित कर, हु‌ए द्वारकाधीश।
 पार्थ-सखा सारथि बने भक्तञ्वश्य जगदीश॥
 वरदहस्त हो कर रहे अक्षय अभय प्रदान।
 शरणागत-वत्सल सहज सुहृद कृष्ण भगवान॥