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घणो थियो / मुकेश तिलोकाणी

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जे हबा में
उॾामी वञीं त
पकिड़ण जी
कोशिश न कंदुसु।
जे दरियाह में
लुड़हंदी वञीं त
कढण जी
कोशिश न कंदुसु।
जे, ज़हन मां
विसरी वञीं त
यादि करण जी
कोशिशि न कंदुसु।
बस, घणो थियो
घणो माणियो
मूं पछतायो
पंहिंजो समझी।