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यात्री बाबाक लेल / गुंजनश्री

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ऐं यौ बाबा
कोना बुझलियैक आहाँ
जे मठ आ मठाधीश सब
गछारि लेतैक साहित्य के
आ बना लेतैक ओकरा
अप्पन बपौती
आ कर' लगतैक निषेध
नवतुरिया के स्वच्छंद अबरजात के
साहित्यक डीह पर,
जे द' देलियैक पहिलहिं नारा
"नवतुरिया आबय आगाँ"।
आहाँक ललकारा पर
उठल अछि घनेरो कवि
आ क' रहल छैक
सतत अप्पन सर्जना
निर्द्वन्द, निश्छंद।

धू! इहो कोनो
गेनाय छैक
जे गेलाक एतेक बरख बादो
आहाँ छि उपस्थित
कपाल-कोटरी मध्य
हमरा सन-सन
घनेरो नवतुरिया के।

मुदा ई सब नहीं कहबाक अछि
आई त' कह' आयल छि जे-
बाबा यौ