Last modified on 21 मार्च 2017, at 10:42

बर्खास्त आदमी / रमेश आज़ाद

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:42, 21 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> एक बर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक बर्खास्त आदमी को
कहीं से भी
बर्खास्त किया जा सकता है
घर से
नौकरी से
हंसी से
हवा से
सब जगह उपस्थित रहने के बावजूद।

बर्खास्त आदमी
ऐसी संसद का सदन होता है
जो कभी भी संग हो सकता है।

बर्खास्त आदमी का
कोई रंग नहीं होता
जो किसी पर चढ़ जाए!

कयामत आ सकती है दुनिया में
अगर बर्खास्त आदमी का कद
उसके कद से बढ़ जाए...