मौसम चहुँदिस करने सिंगार कहिया ऐतै
पतझर वन में फेरो बहार कहिया ऐतै
ई तपन घुटन से केन्ना मिलतै छुटकारा
सुन्दर शीतल मादक बियार कहिया ऐतै
दुभ्भो मोथा झौआ के झाड़ जरे लगलै
जल बिना सरोवर के सेमार जरे लगलै
कहिया ऐतै बादल धरती के ताप हरे
रिमझिम-रिमझिम जल के फुहार कहिया ऐतै
जंजीर बजावै हवा, मोन भयभीत लगै
सुन्ना घर में एकदम सब कुछ विपरीत लगै
आगीन उलीचै छै सूरज अब भोरे से
आखिर चन्दा वेदागदार कहिया ऐतै
वैशाख विरहनी कहिया तक ढोते रहतै
केकरो खियाल में कहिया तक रोते रहतै
एगो सवाल अपने से हरदम पूछै छै
पिय के दोली लेने कहार कहिया ऐतै