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आश्वस्त हैं लड़कियाँ? / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

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बेटी कहती है

-माँ, महानगर में
आदमी का सही मूल्यांकन होता है
उसकी प्रतिभा की कद्र ही वहीं होती है
चलो वहाँ चलते हैं

माँ कहती है-
पर मुझे नहीं जाना महानगर
चाहे दिल्ली हो या मुम्बई

मैं गिद्ध चील कौओं से बहुत डरती हूँ
और दिल्ली मुम्बई के आसमान पर
प्रदूषण से ज्य़ादा गिद्ध चील कौए मंडराते हैं

इतना ही नहीं आजकल तो ये
भेष बदलकर बड़ी संख्या में
ज़मीन पर उतर आए हैं
और निरंतर उतरते जा रहे हैं
ये फैल गए हैं
सड़क बस ट्रेन घर दफ्तर थिएटर मॉल सब जगह
इसलिए मुझे महानगर नहीं जाना

-मुझे बताओ, कौनसी जगह निरापद है माँ,
इन गिद्ध चील कौओं से
क्या अपने घर में तो आश्वस्त और सुरक्षित हैं लड़कियाँ?

विरोध में खड़ी हो जाओ माँ
ऊँची आवाज़ में बोलती है बेटी