Last modified on 6 दिसम्बर 2017, at 13:51

अंगूर के दाने / आनंद खत्री

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:51, 6 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद खत्री |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अंगूर के आकर्षक रंग-बिरंगे दाने
बेस्वाद सी बाहरी खाल में दबी
ग़ज़ब सी मिठास-भरा रसीला गूदा
दांत से दबाया तो रस ही रस था।

थोड़ा और चबाया, चखा तो
ज़ायके की खोज बीज तक पहुँची
बीज था बेस्वाद सा
या मैं सवाब नहीं समझ पाया।