"कलानिधिसहायिनौ लसदलीलसौदामिनी।
मदन्तरवलम्बिनी भवतु कापि कादम्बिनी॥"
॥छप्पय॥
कृष्ण कलित कादम्बिनी सरिस सुन्दर सूरत।
कृष्ण कलित कादम्बिनीव छबि कुन्तल पूरत॥
कृष्ण कलित कादम्बिनी सु कमरी दुख दूरत।
कृष्ण कलित कादम्बिनी नयन तिय गन घूरत॥
सो कृष्ण-कृष्ण कादम्बिनी लौं करुना बरसाइए.
हे कृष्ण! कृष्ण कादम्बिनी की शोभा सरसाइए॥