Last modified on 21 मई 2018, at 13:34

कजली / 62 / प्रेमघन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:34, 21 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

षष्ट विभेद
नवीन संशोधन

अद्धा

सुन! सुन! मदन गोपाल जसुदा के लाल।
सीख्यः ई तूंकवन कुचाल जसुदा के लाल॥
लखि बन सघन बिसाल जसुदा के लाल।
लुकः चढ़ि कदम की डाल जसुदा के लाल॥
देखतहिं बारी बृजबाल जसुदा के लाल।
धावः होइ अतिही उताल जसुदा के लाल॥
धरिकै घुँघट खोल खाल जसुदा के लाल।
लाज तजि करः देख भाल जसुदा के लाल॥
बहियाँ गरे के बीच घाल जसुदा के लाल।
चूमः हाय अधर रसाल जसुदा के लाल॥
केथुवौ के करः न खियाल जसुदा के लाल।
झकझोरि तोरः मोती माल जसुदा के लाल॥
जाय घरे कही जौ ई हाल जसुदा के लाल।
परि जाय बृज में जबाल जसुदा के लाल॥
प्रेमघन परिप्रेम जाल जसुदा के लाल।
राखः चित रचिक संभाल जसुदा के लाल॥108॥