Last modified on 4 मई 2019, at 20:40

उमड़ घुमड़ घन गरजे बदरा / मृदुला झा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:40, 4 मई 2019 का अवतरण (Rahul Shivay ने उमड़.घुमड़ घन गरजे बदराए / मृदुला झा पृष्ठ उमड़ घुमड़ घन गरजे बदरा / मृदुला झा पर स्थाना...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मनभावन को तरसे बदरा।

रुत आये रुत जाये निशदिनए
बूँदें बन कर सरसे बदरा।

नदियों की तो बात क्या करनीए
सागर से मिल लरजे बदरा।

हरियाली गायब धरती सेए
उड़ने को नित तरसे बदरा।

विरहन मन की बात निरालीए
अंखियों से नित बरसे बदरा।

ताल.तलैया नहरों पर भीए
बरस.बरस कर हरषे बदरा।