जो बोलूँगा, सच बोलूँगा
सच को खुरच-खुरच बोलूँगा
आएगी जब खूँ की नौबत
दिल को उलच-उलच बोलूँगा
झूठ, फ़रेब, दम्भ, लालच के
चक्रव्यूह से बच बोलूँगा
नै व्यवस्था होंगी उसमे
नै संहिता रच बोलूँगा
अमृत मिल जाए तुझको, विष
मुझको जाए पच बोलूँगा
जो बोलूँगा, सच बोलूँगा
सच को खुरच-खुरच बोलूँगा
आएगी जब खूँ की नौबत
दिल को उलच-उलच बोलूँगा
झूठ, फ़रेब, दम्भ, लालच के
चक्रव्यूह से बच बोलूँगा
नै व्यवस्था होंगी उसमे
नै संहिता रच बोलूँगा
अमृत मिल जाए तुझको, विष
मुझको जाए पच बोलूँगा