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जुलाई 05, 2009 | ||||||||||||||||||||||
कविता कोश आज तीन वर्ष का हो गया है। हिन्दी काव्य का यह ऑनलाइन कोश इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है सामूहिक प्रयासों द्वारा किसी भी कठिन और विशाल लक्ष्य को पाया जा सकता है। कविता कोश साहित्य के भविष्य का भी दर्पण है। इस कोश में संकलन के द्वारा ना केवल दुर्लभ और लुप्त होती कृतियों को बचाया जा रहा है बल्कि ये कृतियाँ सर्व-सुलभ भी हो रही हैं। रचनाकार कविता कोश में अपनी रचनाओं के संकलन के बाद संतुष्टि का अनुभव करते है कि उनकी रचनाएँ समस्त विश्व में पढी़ जा सकती हैं और सुरक्षित व सुसंकलित हैं। इस तीसरे वर्ष में भी कोश तीव्र गति से आगे बढा़। इसी प्रगति की संक्षिप्त जानकारी नीचे दी जा रही है।
आंकडो़ की नज़र से
वैबसाइट के सर्वर में बदलावनवम्बर २००८ में कविता कोश टीम ने यह निर्णय लिया कि अब कविता कोश को सर्वर की सेवा मुफ़्त प्रदान करने वाली संस्था Wikia के सर्वर से हटा लिया जाना चाहिये। यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय था। इस स्थानांतरण के पीछे प्रमुख कारण था कि Wikia कविता कोश के जालस्थल पर विज्ञापन दिखाती थी और इस तरह अपनी सेवा मुफ़्त उपलब्ध कराती थी। इसके अलावा भी Wikia की नीतियों कारण कोश के विकास पर कई बंदिशे लगी थी। नवम्बर माह में ही टीम ने कोश को निजी सर्वर पर स्थानांतरित कर लिया और विज्ञापनों का दिखाया जाना बंद कर दिया गया। अब कविता कोश टीम ही सर्वर का सारा खर्च वहन करती है।
प्रमुख योगदानकर्ताकविता कोश के विकास में हाथ बंटाने के उद्देश्य से कोश से जुड़ने वाले योगदानकर्ताओं की संख्या इस वर्ष भी निरंतर बढ़ती रही। साथ ही पुराने योगदानकर्ताओं ने अपना योगदान बनाये रखा। कविता कोश टीम की प्रशासक प्रतिष्ठा शर्मा, संपादक अनिल जनविजय जी और सदस्य द्विजेन्द्र 'द्विज' जी ने सर्वाधिक योगदान किया। टीम के सदस्य अनूप भार्गव जी ने कोश के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। प्रकाश बादल जी ने बहुत कम समय में ८०० से अधिक रचनाओं का कोश में संकलन किया। अन्य प्रमुख योगदानकर्ताओं में हेमंत जोशी, श्रद्धा जैन, चंद्र मौलेश्वर, हिमांशु, राजुल मेहरोत्रा, विनय प्रजापति, एकलव्य, भारतभूषण तिवारी और ऋषभ देव शर्मा के नाम शामिल हैं।
भावी योजनाएँकविता कोश टीम इस समय कई योजनाओं पर काम/चिंतन कर रही है। इनमें से एक है रचनाओं को कवियों या अन्य व्यक्तियों की आवाज़ में उपलब्ध कराना। इससे कविता कोश के पाठक इन रचनाओं न केवल पढ़ सकेंगे बल्कि उन्हें सुन भी सकेंगे। इसके अलावा लोक-गीतों के संकलन को बढा़ने पर आने वाले समय में विशेष ध्यान दिया जाएगा। फ़िल्मी गीतो के अनुभाग को भी सुव्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाने की योजना है।
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