Last modified on 17 अक्टूबर 2010, at 23:56

कागज के गज / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 17 अक्टूबर 2010 का अवतरण ("कागज के गज / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कागज के गज
गजब बढ़े;
धम-धम धमके
पाँव पड़े,
भीड़ रौंदते हुए कढ़े।

ऊपर
अफसर
चंट चढ़े,
दंड दमन के
पाठ पढ़े।

रचनाकाल: २६-०८-१९७८