नीचे दिये हुए पृष्ठ ज़िंदगी ! ए ज़िंदगी ! / फ़राज़ से जुडते हैं:
देखें (पिछले 50 | अगले 50) (20 | 50 | 100 | 250 | 500)- वफ़ा के बाब में इल्ज़ाम-ए-आशिक़ी न लिया / फ़राज़ (← कड़ियाँ)
- ख़ामोश हो क्यों दाद-ए-ज़फा क्यों नहीं देते / फ़राज़ (← कड़ियाँ)
- रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ / फ़राज़ (← कड़ियाँ)
- कुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने मांगे / फ़राज़ (← कड़ियाँ)