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वफ़ा के बाब में इल्ज़ाम-ए-आशिक़ी न लिया / फ़राज़

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वफ़ा के बाब में इल्ज़ाम-ए-आशिक़ी<ref>प्रेम का अपराध</ref> न लिया
कि तेरी बात की और तेरा नाम भी न लिया

ख़ुशा<ref>भग्यशाली</ref> वो लोग कि महरूम-ए-इल्तिफ़ात<ref>दया से वंचित</ref> रहे
तेरे करम<ref>कृपा</ref> को ब-अंदाज़े-सादगी<ref>भोलेपन से</ref> न लिया

तुम्हारे बाद कई हाथ दिल की सम्त<ref> ओर</ref> बढ़े
हज़ार शुक्र<ref>धन्यवाद</ref> गिरेबाँ को हमने सी न लिया

तमाम मस्ती-ओ-तिश्नालबी<ref>उन्माद व तृष्णा</ref> के हंगामे
किसी ने संग<ref>पत्थर</ref> उठाया किसी ने मीना<ref>मद्यपात्र</ref> लिया

‘फ़राज़’ ज़ुल्म<ref>अत्याचार</ref> है इतनी ख़ुद-ऐतमादी<ref> आत्मविश्वास</ref> भी
कि रात भी थी अँधेरी चराग़ भी न लिया


शब्दार्थ
<references/>