जेबों में डर
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रचनाकार | अश्वघोष |
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प्रकाशक | मेधा बुक्स |
वर्ष | 2001 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़ल |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 139 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- पेट की इस आग को / अश्वघोष
- कुछ क़ाज़ियों के बीच ही / अश्वघोष
- तू बता ये देश भाई / अश्वघोष
- ज़िन्दगी मछली है जैसे / अश्वघोष
- पाँच वर्षों का मुकम्मल / अश्वघोष
- बदली नहीं है अब तक / अश्वघोष
- जो भी सपना / अश्वघोष
- मैं फँस गया हूँ / अश्वघोष
- रोज़ होती है / अश्वघोष
- एक गहरा दर्द / अश्वघोष
- द्वार खोलो दौड़कर / अश्वघोष
- एक छप्पर भी नहीं / अश्वघोष
- रोज़मर्रा वही एक ख़बर / अश्वघोष
- हादसा-दर-हादसा / अश्वघोष
- हर ओर अन्धेरा है / अश्वघोष
- झूठ की है कोठियाँ / अश्वघोष
- रफ़्ता-रफ़्ता द्वार से / अश्वघोष
- देखिए बाज़ार में / अश्वघोष
- इन परिन्दों का नहीं है / अश्वघोष
- काटने से पर / अश्वघोष
- अब ज़ुबाँ मत खोल / अश्वघोष
- तुम दयारों से निकलो / अश्वघोष
- क्या खुशी देखिए / अश्वघोष
- आत्मा परमात्मा / अश्वघोष
- जिसे पूछता था न / अश्वघोष
- ऐसा नहीं कि काँच के अब / अश्वघोष
- सिलसिला ये दोस्ती का / अश्वघोष
- ज़िन्दगी मायूस थी / अश्वघोष
- भीड़ में बहते नगर / अश्वघोष
- बतला रहा है रास्ता / अश्वघोष
- मन भर गया / अश्वघोष
- धीरे-धीरे देखना / अश्वघोष
- जब ख़ुदा की ज़ात का / अश्वघोष
- आप भी इस बेबसी को / अश्वघोष
- ये हँसी देखी तो थी / अश्वघोष
- हाथों में ले के जाम / अश्वघोष
- जब भी गूँजे है / अश्वघोष
- आज फिर गम्भीर / अश्वघोष
- इक दौर-ए-हक़ीक़ी ने / अश्वघोष
- बेबसी का है धुँआ / अश्वघोष
- ख़ौफ़ज़दा मज़र जेबों में / अश्वघोष
- शहनाई को कहाँ रखूँ / अश्वघोष
- यूँ तो वो रहबर लगता है / अश्वघोष
- गाँव बहुत पछताएगा / अश्वघोष
- मुझसे वो हालात न पूँछ / अश्वघोष
- देख ये शहर / अश्वघोष
- सबको ढ़ोता रहा पहाड़ / अश्वघोष
- जो कुछ भी वो देता है / अश्वघोष
- उसने दर पर मौन बिठाए / अश्वघोष
- जब कपड़ो में आई जेब / अश्वघोष
- देख यहाँ से / अश्वघोष
- ख़ुद से दूर / अश्वघोष
- दुनियादारी एक तरफ / अश्वघोष
- आए ऐसे दिन गर्दिश के / अश्वघोष
- मुझमें एक डर ज़िन्दा है / अश्वघोष
- तख्ती-बस्ता अब तक मुझमें / अश्वघोष
- दलितों के उद्धार की बातें / अश्वघोष
- तुमने जहाँ क़रीना देखा / अश्वघोष
- उसने मुझको छू कर जाना / अश्वघोष
- बस्ता इतना भारी है / अश्वघोष
- हम तो अपने घर में / अश्वघोष
- एक रोशनी मिली / अश्वघोष
- मैं था, ख़याल-ए-यार था / अश्वघोष
- क्यों न अब ख़ुदा से / अश्वघोष
- कट गया रिश्ता / अश्वघोष
- मैक़दे से लौट कर / अश्वघोष
- तेज़ थी बारिश / अश्वघोष
- मैं कि इकदम / अश्वघोष
- रजनीगन्धा और चन्दा / अश्वघोष
- मैं चला जाऊँगा लेकिन / अश्वघोष
- ज़िन्दगी यूँ तो सफ़र में / अश्वघोष
- जंगलों से जब शहर में / अश्वघोष
- किनारों को छूएगा / अश्वघोष
- अब इधर आने लगे हैं / अश्वघोष
- फ़ुरसत में तो तुम / अश्वघोष
- वो मुझे जब भी मिला / अश्वघोष
- रात भारत सोया नहीं / अश्वघोष
- तूने जो भी कहा / अश्वघोष
- जब कभी आँधी इधर / अश्वघोष
- देख लेना एक दिन / अश्वघोष
- पेड़ इतने हरे हो गए / अश्वघोष
- मेरे मन में डर ही डर था / अश्वघोष
- हमने तो इतनी पी ली है / अश्वघोष
- इतना भी अन्दाज़ा नहीं / अश्वघोष
- मोहभंग हो गया अचानक / अश्वघोष
- अपने मन को भारी मत रख / अश्वघोष
- मन्ज़िल जब अनजानी होगी / अश्वघोष
- मेरे दिन में इतना गम है / अश्वघोष
- मन में रहके तुम्हारी / अश्वघोष
- ये जो तेरे ताने है / अश्वघोष
- मेरी एक न माने दिन / अश्वघोष
- बस इतना ही बेहतर हूँ मैं / अश्वघोष
- छोटे-छोटे लफ़ड़ॆ हैं / अश्वघोष
- तू ये जंगल देख ज़रा / अश्वघोष
- बाहर एक नशा जीता हूँ / अश्वघोष
- तन की बातें रहने दे / अश्वघोष
- अब के जब तुम खत लिखना / अश्वघोष
- एक मकाँ औ' इतने ताले / अश्वघोष
- ये जो मन में / अश्वघोष
- ग़म ही ग़म हैं जब ये देखा / अश्वघोष