लोकप्रिय शायर-मजरूह सुल्तानपुरी
रचनाकार | मजरूह सुल्तानपुरी |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
वर्ष | 2002 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 110 |
ISBN | 81-7055-564-7 |
विविध | यह संकलन डॉ. सादिका नवाब सहर द्वारा संपादित है |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कोई आतिश दर-सुबू शोला-ब-जाम आ ही गया / मजरूह सुल्तानपुरी
- दुश्मनों की दोस्ती है अब अहले वतन के साथ / मजरूह सुल्तानपुरी
- वो जो मुह फेर कर गुजर जाए / मजरूह सुल्तानपुरी
- रहते थे कभी जिनके दिल में हम जान से भी प्यारों की तरह / मजरूह सुल्तानपुरी
- मेरा तो जो भी कदम है वो तेरी राह मे है / मजरूह सुल्तानपुरी
- कहीं बेखयाल हो कर यूँ ही छू लिया किसी ने / मजरूह सुल्तानपुरी
- झुका झुका के निगाहें मिलाए जाते हैं / मजरूह सुल्तानपुरी
- साथी न कोई मंजिल, दिया है न कोई महफ़िल / मजरूह सुल्तानपुरी
- हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे / मजरूह सुल्तानपुरी
- ये माना दिल जिसे ढूढे बड़ी मुश्किल से मिलता है / मजरूह सुल्तानपुरी
- तेरी आँखों की चाहत में तो मै सब कुछ लुटा दूंगा / मजरूह सुल्तानपुरी
- हम हैं राही प्यार के हमसे कुछ न बोलिए / मजरूह सुल्तानपुरी
- पहले सौ बार इधर और उधर देखा है / मजरूह सुल्तानपुरी
- हमें करें कोई सूरत उन्हें बुलाने की / मजरूह सुल्तानपुरी
- कोई मेरे दिल में खुशी बन के आया / मजरूह सुल्तानपुरी
- उठाये जा उनके सितम और जिए जा / मजरूह सुल्तानपुरी
- आँचल मे सज़ा लेना कलियाँ जुल्फों मे सितारे भर लेना / मजरूह सुल्तानपुरी
- हमें ए दिल कहीं ले चल बड़ा तेरा करम होगा / मजरूह सुल्तानपुरी
- हम हैं माता ए कूचा-ओ-बाज़ार की तरह / मजरूह सुल्तानपुरी
- कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा / मजरूह सुल्तानपुरी