नया पृष्ठ: जबसे "राम" और रोटी का नाम साथ में लिया जाने लगा है न जाने क्यों ऐसा …
no edit summary
+29
नया पृष्ठ: कितनी कोशिशों के बाद एक निरर्थक एहसास पाले हुए कि नहीं गढ़ सका मै…
no edit summary
+54
नया पृष्ठ: बारिश की हल्की फुहारों के बाद जब भी मिट्टी महकती है बहुत याद आते …
no edit summary
+35
नया पृष्ठ: मरोड़े गए कबूतर की तरह फड़फड़ करता हुआ रोशनदान से गिरता है अखबार …
no edit summary
+15
नया पृष्ठ: न तुम्हारे लिए लिखा न तुम्हारे सिवा किसी और के लिए भाव और भाषा के …
no edit summary
+56
नया पृष्ठ: जब भी रात घनी हुई आपनी गोंद में लिए दादी ने अपनी किस्सों की दुनिय…
no edit summary
+3
नया पृष्ठ: मेरी दादी की आँखों पर होता है मोटा धुंधले शीशों वाला चश्मा जिसकी …
no edit summary
+363
नया पृष्ठ: कैसे पढूं ये पाती जो लिखी हैं पुरुवा हवाओं पर ताज़ा और टटके जज्ब…
no edit summary
+12
नया पृष्ठ: इन पेड़ों को , जकड दिया गया है पत्थरों और सीमेंटों से जबकी शर्तें…
no edit summary
+41
नया पृष्ठ: कितने निराश हो तुम ! सब कुछ जानते हुए किस घुप्प अँधेरे में जा बैठे …
no edit summary
+50
नया पृष्ठ: ये उल्लू जो आपकी,हमारी चुप्पी की गुम्बज पर बैठ गया है ! उसका मुंह …
no edit summary
+44
नया पृष्ठ: उसका हर प्रश्न एक प्रतिरोध की तरह था ! ना वो सड़क पर खड़ी थी, और ना …
no edit summary
+99
नया पृष्ठ: मेरा समग्र अकेलापन सरयू के तीरे एक पत्थर में कैद है ! जिसकी आजादी …
no edit summary
+22
नया पृष्ठ: देखो, इस सुबह को गौर से देखो ! सूरज उंघते हुए निकल रहा है कैसे धरती…
no edit summary
+57
no edit summary
+39
नया पृष्ठ: मैं कैसे समझूं ये आवाज़ मेरे लिये है जबकि एक आहत आवाज़ मेरे सामने …
no edit summary
+59
नया पृष्ठ: दुनिया भर में उठ रहे तमाम विद्रोहों के बीच अपनी ऐतिहासिक भूमिका …
no edit summary
+38
नया पृष्ठ: गए साल की तरह आने वाले साल में भी मृत्यु जीवन पर भारी होगी, क्योंक…
no edit summary
+492
नया पृष्ठ: नाम:रवि प्रकाश जन्म: ग्राम-सूरजपुर ,मऊ(उ.प्र)दिनांक 12.09.1984 शिक्षा: ए…
नया पृष्ठ: सुनो, मैं दुनिया की सभ्यताओं की ढूह पर बैठा हुआ हूँ ! सुनो की जिस …
no edit summary
+62
नया पृष्ठ: रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक दुनियां की सरहदें आसमान में तार…
no edit summary
+61
नया पृष्ठ: कवितायें संसद के हर बलात्कार के बाद पैदा हुई उस संतान की तरह हैं …
no edit summary
+70
no edit summary
-3
नया पृष्ठ: एक दिन पा लेना है तुम्हें पीपल कि कोपलों पे पड़ती पीली धूप कि तरह !…
no edit summary
+33
नया पृष्ठ: मैंने इस शहर को पहली बार पानी के आईने में देखा रेत के बीच पिघलते ह…
no edit summary
+24
no edit summary
+1
नया पृष्ठ: पूरा दिन कुहरे से ढका हैं! जैसे कुहरा और उदासी, एक साथ चले हों किसी…
no edit summary
+38