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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 1 से 10 तक/पृष्ठ 1
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अशोक वन में हनूमान्
राग केदारा
रजायसु रामको जब पायो |
गाल मेलि मुद्रिका, मुदित मन पवनपूत सिर नायो ||
भालुनाथ नल-नील साथ चले, बली बालिको जायो |
फरकि सुअँग भए सगुन, कहत मानो मग मुद-मङ्गल छायो ||
देखि बिवर, सुधि पाइ गीधसों सबनि अपनो बलु मायो |
सुमिरि राम, तकि तरकि तोयनिधि, लङ्क लूक-सो आयो ||
खोजत घर घर, जनु दरिद्र-मनु फिरत लागि धन धायो |
तुलसी सिय बिलोकि पुलक्यो तनु, भूरिभाग भयो भायो ||