Last modified on 3 सितम्बर 2012, at 12:29

जौं हौं कहौं रहिए तौ / केशवदास

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:29, 3 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशवदास }} <poeM> जौं हौं कहौं रहिए तौ ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जौं हौं कहौं रहिए तौ प्रभुता प्रगट होति,
          चलन कहौं तौ हित हानि नाहिं सहनो.
भावै सो करहुँ तौ उदास भाव प्राननाथ!
          साथ लै चलहु कैसे लोकलाज बहनो.
केशवदास की सौं तुम सुनहु,छबीले लाल,
          चलेही बनत जौ पै,नाहीं आज रहनो.
जैसियै सिखाऔ सीख तुमहीं सुजान प्रिय,
          तुमहिं चलत मोंहि जैसो कुछ कहनो.