भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा दिल अब तेरा ओ साजन / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 2 नवम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= शैलेन्द्र |संग्रह=फ़िल्मों के लि...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा दिल अब तेरा ओ साजना
कैसा जादु फेरा ओ साजना
मेरा दिल ...

नैं हमारे तुम संग लागे
तुम संग प्रीत हमारी
मन भाये तुम जानो न जानो
जाने है दुनिया सारी
कोई और न मेरा ओ साजना
मेरा दिल ...

मोरनी बन के राह तकूँ मैं
तुम बादल बन जाओ
मेरे प्यासे रोम रोम पे
रस बरसाते जाओ
तेरा दिल में बसेरा ओ साजना
मेरा दिल ...

प्यार का बंधन जनम जनम का
साँस के संग ही टूटे
सारे ही रंग फीके पड़ जाए
प्यार का रंग न छुटे
तूने तन मन घेरा ओ साजना
मेरा दिल ...