इहवइ धरतिया हमार महतरिया / रमाशंकर यादव 'विद्रोही'
अमवा इमिलिया महुवआ की छइयाँ
जेठ बैसखवा बिरमइ दुपहरिया
धान कइ कटोरा मोरी अवध कइ जमिनिया
धरती अगोरइ मोरी बरख बदरिया
लगतइ असढ़वा घुमड़ि आये बदरा
पड़ि गईं बुनिया जुड़ाइ गयीं धरती
गुरबउ गरीब लइ के फरुहा कुदरिया
तोरइ चले बबुआ जुगदिया कै परती
पहिलइ वरवा पथरवा पै परिगा
छटकी कुदार मोर खुलि गा कपरवा
मितवा न जनव्या जमिनिया क पिरिया
टनकइ खोपड़ी मोरा दुखवा अपरवा
खुनवा बहा हइ मोरा जइसे पसिनवा
तोर तोर परती बनाइ दिहे जमता
इहवइ धरतिया हमार महतरिया
मरेउ पै न जइहैं जमिनिया क ममता
उहवइ धरती मोरी होइ गइ हरनवा
इहवइ हयेन मोरे दुख के करनवा
सथवा निभाइ देत्या मितवा दुलरुआ
छिड़ी बा लड़ायी मोरे खेते खरिहनवा
हमरी समरिया गहे जे तरुअरिया
ओनही के गीत गाना ओनही के रगिया
हम खुनवा रँगि-रँगि रेसम कै पगड़िया
बबुआ बाँधब तोरे मथवा पै पगिया
हमरा करेजवा जनमवइ क बिरही
अब न बुतायी मोरी छतिया कै अगिया
हम छनही मा बारि के बुताइ देबइ दुनिया
बहुतइ बिरही मोरे बिरहा कै अगिया...