भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देवी गीत 1 / रामरक्षा मिश्र विमल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:58, 1 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामरक्षा मिश्र 'विमल' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रे मनवा माई के जय बोल.
भरमत रहबऽ असहीं हरदम, माया के जय गोल.
 
नीमन पहिरन चीकन भोजन मनलऽ तन अनमोल
बाकिर एक दिन उड़ि जाई सुगना पिंजरा के खोल.
 
जय माँ दुर्गे जय माँ काली जग में सुंदर बोल
ईहे राह दिखा के भव के बंधन दीही खोल.
 
जीव जगत में दरसन कइ लऽ माई के अनमोल
विमल रङा लऽ भगति चुनरिया छोड़ऽ टालमटोल.