Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 14:07

तलास ! / प्रमोद कुमार शर्मा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:07, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

म्हानै सबदां री तलास है
सबद ........
जिण सूं बण सकै ऐक पूरौ वाक्य!
म्हूं कई दिनां सूं सोधूं हूं
ऐक रंग री ओळखाण हाळा सबद!
बियां तो म्हूं इण नै
रगत, खून या लोई भी कैय सकूं!
पण म्हानै लागै
आं सबदां सूं
नीं आवै म्हारै बिचारां मांय उबाळ ...!
म्हानै लागै इण मारक रंग री खातिर
सोधणो चाइजै कोई नूवों सबद
इण नै दांव देवण तांई।
कै पीळा पड़ ज्यावै बां रा चै‘रा
लाल हुवण रै डर सूं
म्हूं भी हो ज्याऊं निरास
अर बारै भाजण पडूं घर सूं!
पण बारै आंवता‘ई
जणा म्हूं सड़क पर देखू
लाल रंग मांय रंग्योड़ी कोई लास
तो म्हानै फैरूं लागै
कै म्हानै इण रंग खातर
सोधणौ चाइजै कोई नूवों सबद!