भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेरा नाम नहीं / निदा फ़ाज़ली
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:43, 28 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा फ़ाज़ली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)
तेरे पैरों चला नहीं जो
धूप छाँव में ढला नहीं जो
वह तेरा सच कैसे,
जिस पर तेरा नाम नहीं?
तुझसे पहले बीत गया जो
वह इतिहास है तेरा
तुझको हीं पूरा करना है
जो बनवास है तेरा
तेरी साँसें जिया नहीं जो
घर आँगन का दिया नहीं जो
वो तुलसी की रामायण है
तेरा राम नहीं.
तेरा हीं तन पूजा घर है
कोई मूरत गढ़ ले
कोई पुस्तक साथ न देगी
चाहे जितना पढ़ ले
तेरे सुर में सजा नहीं जो
इकतारे पर बजा नहीं जो
वो मीरा की संपत्ति है
तेरा श्याम नहीं.