गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 2 मार्च 2014, at 16:48
मुरली ली, प्रिय छिप गये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Sharda suman
(
चर्चा
|
योगदान
)
द्वारा परिवर्तित 16:48, 2 मार्च 2014 का अवतरण
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
हनुमानप्रसाद पोद्दार
»
पद-रत्नाकर / भाग- 2
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
मुरली ली, प्रिय छिप गये, बिरहाकुल गंभीर।
मानिनिसी बैठी, विकल, रससागर के तीर॥