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अमवा के लागेला टकोरवा रे संगिया / भोजपुरी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अमवा के लागेला टकोरवा रे संगिया

गूलर फरे ले हड़फोर

गोरिया के उठेलाहा छाती के जोबनवाँ

पिया के खेलवना रे होइ


भावार्थ

--'आमों के टिकोरे लग गए, ओ संगी !

गूलर भी हड्डियों को फोड़कर फलों से लद गए हैं

गोरी के उरोज भी उभर आए हैं

अरे ये तो प्रियतम के लिए खिलौने बनेंगे !'