भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

डोल झूले श्याम श्याम सहेली / हरिदास

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:26, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डोल झूले श्याम श्याम सहेली।
राजत नवकुंज वृंदावन विहरत गर्व गहेली॥१॥

कबहुंक प्रीतम रचक झुलावत कबहु नवल प्रिय हेली।
हरिदास के स्वामी श्यामा कुंजबिहारी सुंदर देखे द्रुमवेली॥२॥