Last modified on 22 मई 2014, at 22:40

श्रीगोबिन्द पद-पल्लव सिर पर बिराजमान / गदाधर भट्ट

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गदाधर भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

श्रीगोबिन्द पद-पल्लव सिर पर बिराजमान,
कैसे कहि आवै या सुखको परिमान।
ब्रजनरेस देस बसत कालानल हू त्रसत,
बिलसत मन हुलसत करि लीलामृत पान॥१॥

भीजे नित नयन रहत प्रभुके गुनग्राम कहत,
मानत नहिं त्रिबिधताप जानत नहिं आन।
तिनके मुखकमल दरस पातन पद-रेनु परस,
अधम जन गदाधरसे पावैं सनमान॥२॥