सो तो है
रचनाकार | बशीर बद्र |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
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- न जी भर के देखा न कुछ बात की / बशीर बद्र
- सर झुकाओगे तो / बशीर बद्र
- मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो / बशीर बद्र
- लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में / बशीर बद्र
- आँखों में रहा दिल में न उतरकर देखा / बशीर बद्र
- जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे / बशीर बद्र
- हर जनम में उसी की चाहत थे / बशीर बद्र
- वो चाँदनी का बदन ख़ुशबूओं का साया है / बशीर बद्र
- यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र
- मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ने मिला / बशीर बद्र
- सोचा नहीं अछा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं / बशीर बद्र
- कभी यूँ भी आ / बशीर बद्र