भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ढाका शहर दिखादे ओ फौजी पिया / दयाचंद मायना

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:51, 4 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दयाचंद मायना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ढाका शहर दिखादे ओ फौजी पिया...टेक

हमनै पता ना इस हलचल का
हेद भेद ना तेरी रफल का
करकै फायर दिखादे...

हम सै मोती असल सीप के
बलम ड्राईवर मेरी ओ जीप के
फिरते डायर दिखादे...

सैल करादे उसी जगहां की
फौज पड़ी जित याहियां खां की
वो जंगल डहर दखिादे...

तेरी छुट्टी सै आज-आज की
‘दयाचन्द’ के साज-बाज की
हमनैभी लहर दिखादे...