छैला छलन चलौ नव काजर,
दयैं राधा बृज नागर।
मुकती भोल बिकैं मथरा में,
कजरौटन के आगर।
श्री वृषभान-मनदर में दीपक,
है सनेह कौ सागर।
कोयन भीतर रेखा गागई,
परती दिखा उजागर।
कात ईसुरी तुम लौ रावै
प्रान हमारे हाजर।
छैला छलन चलौ नव काजर,
दयैं राधा बृज नागर।
मुकती भोल बिकैं मथरा में,
कजरौटन के आगर।
श्री वृषभान-मनदर में दीपक,
है सनेह कौ सागर।
कोयन भीतर रेखा गागई,
परती दिखा उजागर।
कात ईसुरी तुम लौ रावै
प्रान हमारे हाजर।