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की करलौ नादानी मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

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की करलौ नादानी मेॅ
जहर घुलै छै पानी मेॅ।

फूल फुलैलै, फोरो छै
एक नै केला खानी मेॅ।

पत्ता-पत्ता फूल लगै
फुललै-फूल टिकानी मेॅ।

गाय-भैंस खोली मेॅ छै
सूअर रहै बथानी मेॅ।

शायर रहतै नै रहतै
रहतै गजल निशानी मेॅ।