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जुगनू भी इंजोर करै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

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जुगनू भी इंजोर करै
की प्रकाश दै? भोर करै?

बादल-बिजली डर सेॅ थर-थर
जे रं डीजे शोर करै।

रुके कहाँ जेकरा चलना छै
रात अन्हरिया घोर करै।

कत्तेॅ दूर अभी चलना छै
आँधी-पानी जोर करै।

वैं की जानै दर्द फूल के
जे फूलोॅ मेॅ डोर करै।

सारस्वतोॅ सेॅ कुछ नै पूछोॅ
दुख सेॅ कपकप ठोर करै।