Last modified on 24 फ़रवरी 2016, at 16:27

चाँद-चाँदनी आबोॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:27, 24 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नन्दलाल यादव 'सारस्वत' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चाँद चाँदनी आबोॅ
आपनोॅ कथा सुनाबोॅ।

दुसरा केॅ दूसै सेॅ
आपनोॅ दोष छुड़ाबोॅ।

गाछ सिनी मुरझैलोॅ
पानी मिली पटाबोॅ।

झौं-झौं करबोॅ छोड़ोॅ
झुम्मर-झुमटा गाबोॅ?

एक अकेल्लोॅ झुट्ठा
माथोॅ मिली मिलाबोॅ?

खाँसी छौं तेॅ रोकोॅ
नैं कि गला दबाबोॅ।

सब पंडित, छौं यैठां
सब लुग सरे नबाबोॅ।

फूलोॅ सें की लड़बोॅ
पत्थल सें टकराबोॅ।

सबके फूल केॅ नोचोॅ
अपनोॅ रोआं बचाबोॅ।

वंश-जात नै पूछोॅ
जब भी नेह लगाबोॅ।

एक्के ‘सारस्वत’ छै
सहतौं सब बिन्डोबोॅ।