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बाकी सबकुछ ठीक-ठाक छै / कैलाश झा ‘किंकर’
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दुश्मन बनलऽ चीन-पाक छै,
बाकी सबकुछ ठीक-ठाक छै।
सीमा पर हड़कम्प मचल छै,
लाशऽ सें कश्मीर पटल छै;
धरती के जे स्वर्ग कहाबै-
वहाँ गिद्ध के भीड़ लगल छै।
देश-देश के कूटनीति में-
दोस्ती करना भी मजाक छै।
हिन्दी चीनी भाई-भाई
यै नारा सें भेलै बुराई;
हड़पा-हड़पी कैलकै जेहन-
कहियो नै होतै भरपाई।
घात लगैने बैठ बिलैया-
बार-बार खोजै खुराक छै।
गुरुवैं सें गुरुवाय करै छै,
हरदम छोटका भाय लड़ै छै;
पड़लै ऐसन शाप काल के-
प्रजातंत्र के लोर झड़ै छै।
तैयो नै छै होश जरा भी-
दुर्दिन देखी जग अवाक छै।
भारत तेॅ बम भोला बनलै,
चाहै छै खुद दुश्मन सँभलै;
टुटलै जब-जब सहन शक्ति तेॅ-
देव-दनुज में निश्चय ठनलै।
आकाशऽ त्रिशूल पृथ्वी
बश में सभ्भे अग्नि-नाग छै।