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प्रथमहि बन्दो शिव नन्दन हो / भवप्रीतानन्द ओझा
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प्रथमहि बन्दो शिव नन्दन हो
गणपति गुणाधार
गजपति वदन त्रिलोचन
गौरीसुत ब्रह्म अवतार
तरुण अरुण तन सुंदर हो
सिंदुरा सें उजियार
चारि हाथें दन्त पाशांकुश
कलश जे वारुणी आधार
लाल पटाम्बर पहिरन हो
गले रतन के हार
कपारें जे दुतिया के चन्दा
मुकुट शिरे मूषिक सवार
विघ्न विनाशन श्री विनायक हो
शिरें सिन्दुरा विस्तार
भवप्रीता वन्दे चरण प्रभु
करु दुख विपद निवार।