भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिया परदेशिया रे आधरिया निशिया / भवप्रीतानन्द ओझा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:21, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झूमर

पिया परदेशिया रे आधरिया निशिया
रिमिझिमी मेघ रहत बरसिया
बिजली हुलसिया अंतर उदसिया
कैसे काटव दुख अलगे बसिया
बिनु श्याम-शशिया मरब तरसिया
फूल बाण हरीया उठत धड़सिया
भवप्रता हँसी कहत रूपसिया
तब फूले रे भौंरा गेलो रसिया।