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पिया परदेशिया रे आधरिया निशिया / भवप्रीतानन्द ओझा
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झूमर
पिया परदेशिया रे आधरिया निशिया
रिमिझिमी मेघ रहत बरसिया
बिजली हुलसिया अंतर उदसिया
कैसे काटव दुख अलगे बसिया
बिनु श्याम-शशिया मरब तरसिया
फूल बाण हरीया उठत धड़सिया
भवप्रता हँसी कहत रूपसिया
तब फूले रे भौंरा गेलो रसिया।