Last modified on 1 जुलाई 2016, at 00:32

ऊँचे टॉवर्स / शरद कोकास

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:32, 1 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद कोकास |अनुवादक= |संग्रह=हमसे त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ऊँचे टॉवर्स की खिड़कियों से
छन-छन कर आती रौशनी
भली लगती है

इनकी रौशनी में नहीं दिखाई देते
अपने दुख-दर्द

इन रौशनियों के पीछे छुपे दुख-दर्द भी
कहाँ दिखाई देते हैं।

-2009