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दादर पुल के नीचे / शरद कोकास

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तीखी चुभन भी नहीं थी सर्दियों की हवा में
और पत्ते भी टूट कर नहीं गिरे थे सड़कों पर
एक ख़ुशगवार सी धुन बज रही थी
मन के गिटार पर

यह छुट्टी का एक आवारा दिन था
और सड़कों पर आवाजाही भी नहीं थी

बस एक पुलक सी थी मन में
तुमसे मुलाकात की

दादर पुल के नीचे ठेलों पर सजे फूल मुस्कराए
सेव नाशपाती और केलों ने एक-दूजे से कहा
इंतज़ार का फल मीठा होता है।

-2009