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और तुलसीदास कल / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
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और तुलसीदास
कल हमको मिले अपने शहर में
वही तुलसी, हाँ
जिन्होंने लिखी थी रघुनाथ-गाथा
अभी भी ओढ़े हुए थे
रामनामी जीर्ण काँथा
क्या बताएँ
हो रहे बेहाल थे वे दोपहर में
खोजते वे फिर रहे थे
रामजी का घर अवध में
बावरे थे - ज़िक्र करते थे
सिया का राजपथ में
राजपथ डूबा हुआ था
नये सपनों की लहर में
उन्हें केवट मिले
जो गरिया रहे थे रामजी को
राजमद दूबे हुए देखा उन्होंने
भरतजी को
लक्ष्मण सोये मिले
उनको युगों से खण्डहर में