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नदी पथरा गई / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र

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एक ही पल में नदी पथरा गई
 
हमें था मालूम
छूते ही नदी यों संकुचित होगी
आये थे उसमें नहाने
आजकल के युगपुरुष ढोंगी
 
देख उनको नदी भी घबरा गई
 
युगों पहले नदी थी यह
देवकन्या - हाँ, पतितपावन
घाट पर हैं खड़े अब
पंडे लगाये रक्त का चंदन
 
देख उनका छल नदी उतरा गई
 
समय बदला
भूमि जो थी उर्वरा
वह हो गई बंजर
शीश पर जिनके चढ़ी थी
यह नदी
वे देवता भी हो गये पत्थर
 
नदी बौरी सीपियाँ बिखरा गई