यह क्या
अब भी चुप बैठे हो तुम, कबीर भाई
कहाँ तुम्हारी उलटबासियाँ
कहाँ गई साखी
कहाँ चदरिया
बड़े जतन से जो तुमने राखी
काशी सूनी
मगहर सूना - रितु यह हरजाई
राम-रहीम
हुआ उनका है फिर से बँटवारा
ताल, जहाँ से तुम उपजे थे
हुआ आज खारा
बोलो भाई
हम खोजें तो किसकी शरणाई
तुमने लाली देख लाल की
खुद को लाल रँगा
वह रँग किसका
इसी बात पर हुआ रात दंगा
प्रश्न वही है
तुम हो हिन्दू या हो तुरकाई