Last modified on 22 जुलाई 2016, at 22:57

स्तुति मुईनुद्दीन चिश्ती / रसलीन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:57, 22 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसलीन |अनुवादक= |संग्रह=फुटकल कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पाहन बुलाइ राजा एक छन में नवाजा,
जोगी हार कर लाजा भयो तप लीन है।
राज सुता आइ सब ओंठ ताकि लाइलब,
प्रान को बचाइ तब कीने परबीन है।
आली जिनके जनाब हिंद को दई है आब,
हिंदुलवली खिताब बिधि बानी दीन है।
दीन के नगारे बाजे जब इसलाम गाजी
आए अजमेर काजी ख्वाजा मोनदीन हैं॥15॥