Last modified on 22 जुलाई 2016, at 23:47

ऊढ़ा बरनन / रसलीन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:47, 22 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसलीन |अनुवादक= |संग्रह=फुटकल कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सीप के सुभ व बाढ़ो कानन कों चाव यह,
मुकुत से बैन रसलीन जून के लहिए।
दृगन चकोरन को चोंब यह कौहुँ देखो,
चंद सो बदन दुख कदन को चहिए।
अंतर की बिथा न जनाई जात औरन सों,
तोहि हितू जानि सखी बात यह कहिए।
ऐसो ही उपाय कछु दीजिए बताय मोहि
जाते बेग जाइ पिय दोऊ पाय गहिए॥43॥