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अंगिका माय नें सिखैने छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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अंगिका माय नें सिखैने छै
जन्महै सें सभैं सिखैने छै
अंगिका माय आ हिन्दी मौसी
माय छोड़ी मौसी अपनैने छै
अंग देश के गोरव छिपल छै
वेद में भी नाम लिखैने छै
अंगिका केॅ समरिध साहित छै
सब विधा में पुस्तक रचैने छै
अंगिका अंग देश के भाषा
यें सब दिन सम्मान पैने छै
‘राम’ कहै सुनो हो अंगवासी
कैन्हें लोग मान घटैने छै।